सांद्र और तनु अम्ल

Satyam yadav
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 सांद्र और तनु अम्ल

विलयन में उपस्थित अम्ल की मात्रा के अनुसार अम्ल, सांद्र और तनु हो सकते हैं। जब विलयन में अम्ल की अधिक मात्रा उपस्थित रहती है, तो उसे सांद्र अम्ल (concentrated acids) कहा जाता है। दूसरी ओर, जब विलयन में अम्ल की मात्रा अपेक्षाकृत कम रहती है, तो उसे तनु अम्ल (dilute acids) कहा जाता है। अतः, सांद्र अम्ल में जल की मात्रा कम-से-कम रहती है, जबकि तनु अम्ल में जल की मात्रा अपेक्षाकृत अधिक रहती है। जल में HCI गैस के संतृप्त विलयन को सांद्र HCI कहा जाता है। परंतु सांद्र H₂SO₄, सांद्र HNO3 तथा सांद्र CH3COOH शुद्ध रूप में होते हैं, इनमें जल नहीं होता। तनु अम्ल में अम्ल की अल्प मात्रा अधिक जल में घुली होती है। आमाशय-रस (gastric juice) में 1% से भी कम सांद्रण का HCI अम्ल होता है। अतः, इस सांद्रण का HCI अम्ल पेट में नुकसान नहीं पहुँचाता। 5% HCI नुकसान पहुँचा सकता है। दूसरी तरफ सिरका (5% CH3COOH) का आंतरिक उपयोग सुरक्षित होता है। दोनों अम्लों का सांद्रण समान होते हुए भी HCI अम्ल की शक्ति ऐसीटिक अम्ल की तुलना में कई गुना अधिक होती है। बोरिक अम्ल एक दुर्बल अम्ल है जिसका उपयोग ऐंटीसेप्टिक के रूप में होता है। प्रबल अम्ल (सांद्र H₂SO₄) त्वचा को जला देते हैं। सांद्र H₂SO₄ जब त्वचा पर गिर जाए तो सर्वप्रथम पर्याप्त जल द्वारा त्वचा को धोकर दुर्बल भस्म के विलयन द्वारा अम्ल के प्रभाव को उदासीन किया जाता है।

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