मूत्र बनने की मात्रा का नियम किस प्रकार होता है ?
उत्तर:- मूत्र की मात्रा पानी के पुनः अवशोषण पर प्रमुख रूप से निर्भर करता है। वृक्काणु नलिका द्वारा पानी की मात्रा का पुन:अवशोषण निम्नलिखित पर निर्भर करता है:–
(i) शरीर में अतिरिक्त पानी की कितनी मात्रा है जिसको निकालना है। जब शरीर के ऊतकों में पर्याप्त जल है, तब एक बड़ी मात्रा में तनु मूत्र का उत्सर्जन होता है। जब शरीर के ऊतकों में जल की मात्रा कम है, तब सांद्र मूत्र की थोड़ी-सी मात्रा उत्सर्जित होती है।
(ii) कितने घुलनशील उत्सर्जक, विशेषकर नाइट्रोजनयुक्त उत्सर्जक जैसे यूरिया तथा यूरिक अम्ल तथा लवण आदि का शरीर से उत्सर्जन होना है।
जब शरीर में घुलनशील उत्सर्जन की अधिक मात्रा हो, तब उनके उत्सर्जन के लिए जल की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है। अतः मूत्र की मात्रा बढ़ जाती है।

