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Satyam yadav
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 साहसी नाविक वास्कोडिगामा उत्तमआशा अतरिप होते हुए भारत के मालाबार तट (केरल के कालीकट) तक पहुँच गया, जहाँ स्थानीय शासक 'जमोरीन' द्वारा उसका स्वागत किया गया। ज्ञातव्य है कि वास्कोडिगामा की सफलता के पीछे कुछ नवीन संसाधनों का भी योगदान था। भारत के एक व्यापारी अब्दुल मजीदव की भेंट वास्कोडिगामा से दक्षिण अफ्रिका में हुई तथा इसी के सहयोग से उसे भारत आने का सीधा मार्ग मिल गया। इससे यूरोपीयनों के साहस में वृद्धि हुई। वास्कोडिगामा द्वारा भारत से लाए गए वस्तुओं को 26 गुणा मुनाफे पर यूरोपीय बाजारों में बेचा गया। 'अमेरिका' अर्थात् नई दुनिया की खोज यूरोपीयनों की एक नई उपलब्धि थी, जिसे 1492 में हो कोलम्बस ने प्राप्त किया। यद्यपि उपमहाद्वीप का हिस्सा समझा और यहाँ के निवासियों को रेड में स्पेन के नाविक अमेरिगु बेस्पुची ने नई दुनिया को विस्तार से ढूँढ़ा और इसे एक महाद्वीप बताया। इसी के नाम पर इस क्षेत्र का नाम


( वास्कोडिगामा)


कोलम्बस ने अमेरिका को भारतीय इंडियन कहा। बाद अमेरिका पड़ा। 1519 ई० में मैग्लन ने पूरी दुनिया का चक्कर जहाज से लगाया और यह धारणा पुष्ट हो गई कि सभी समुद्र एक दूसरे से जुड़े हैं। आगे कैप्टन कुक ने ऑस्ट्रेलिया की भी खोज की, साथ-साथ न्यूजीलैंड के द्वीपों का भी पता लगाया। सर जॉन और सेवास्टिन कैबोट ने न्यूफाउंडलैंड के द्वीपों का पता लगया।। भौगोलिक खोजों को प्रोत्साहन देने में विभिन्न यूरोपीय देशों के शासकों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसमें पुर्तगाल के राजकुमार हेनरी-व-नेवीगेटर तथा स्पेन की महारानी इसाबेला प्रमुख के पूर्वार्द्ध तक लगभग समस्त दुनिया की जानकारी यूरोप को हो चुकी थी।


नई दुनिया : अमेरिकी महाद्वीप थी। इस प्रकार 16 वीं शताब्दी, को यूरोपीयों द्वारा नई दुनिया कहा गया। क्योंकि कोलम्बस की यात्रा से पूर्व इसकी कोई


जानकारी नहीं थी।


इतिहास

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