उत्तर- बीजों में बीजपत्र की संख्या के आधार पर इसे दो भागों में बाँटा गया है-
एकबीजपत्री या मोनोकॉटिलीडन्स-
बीजों में केवल एक ही बीजपत्र मौजूद रहता है। इसीलिये इन्हें एकबीजपत्री कहते हैं। इसमें पतली पत्ती पर शिराविन्यास समानान्तर होता है। इनके संवहन बंडल (जाइलम एवं फ्लोएम) फैले हुये रहते हैं। इनमें रेशेदार जड़तंत्र होता है। उदाहरण- धान, बाँस, घास, गेहूँ, नारियल, ईख, तार इत्यादि।
द्विबीजपत्री या डाइकाटिलीडन्स-
द्विबीजपत्री बीजों में दो बीजपत्र मौजूद होते हैं। इसलिये इन्हें द्विबीजपत्री भी कहते हैं। इनकी पत्तियों में जालिकावत शिराविन्यास रहता है। इनमें पाया जानेवाला संवहन बण्डल वलयाकार रूप में रहता है। इनका जड़तंत्र अधिमूल एवं इसकी शाखाओं के साथ फैला रहता है। उदाहरण-आम, बरगद, कटहल, लीची आदि के वृक्ष।