उत्तर-जिम्नोस्पर्म के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं-
(i) इनमें फूल का अभाव होता है।
(ii) ये पौधे बहुवर्षी, सदाबहार (Evergreen) एवं काष्ठीय (woody) होते हैं।
(iii) इन पौधों में जड़ें, तना एवं पत्तियाँ विकसित होती हैं।
(IV) इनका मुख्य उदाहरण साइकस (Cycas) एवं पाइनस (Pinus) के पौधे हैं। इनकी मूसला जड़ों में शैवाल सहजीवी की तरह रहते हैं।
(v) साइकस ताड़ जैसा (Palm-like) मरुद्भिदी पौधा है जिसमें तना लंबा, मोटा तथा अशाखित होता है। इसके सिरे पर अनेक हरी पत्तियाँ गोलाकार ढंग से एक मुकुट जैसा रचना बनाती हैं। इसमें नर एवं मादा पौधे अलग-अलग होते हैं।
(vi) इन पौधों के बीज फूलों के भीतर नहीं बनते इसलिये बीजों के बाहर फल
का कोई आवरण भी नहीं होता है। यही कारण है कि ऐसे बीजों को नग्नबीजी भी कहा जाता है। बीज आवरण से ढँका नहीं होता, इसलिये इन्हें अनावृतबीजी भी कहते हैं।