उत्तर- जन्तु जगत की प्रमुख विशेषतायें निम्नलिखित हैं-
(i) ये बहुकोशिकीय (Multicellular) तथा यूकैरियोटी (Eukaryote) होते हैं।
(ii) जन्तु परपोषी या विषमपोषी होते हैं अर्थात् क्लोरोफिल अनुपस्थित रहने के कारण जन्तु अपने भोजन का संश्लेषण स्वयं नहीं करते हैं। बल्कि भोजन के लिये ये अन्य जीवों (पौधों एवं जन्तुओं) पर निर्भर होते हैं। आवश्यकता से अधिक मात्रा में ग्रहण किये गये भोज्य पदार्थ जैसे कार्बोहाइड्रेट का संचय ये ग्लाइकोजन के रूप में करते हैं।
(iii) इनका शरीर द्विस्तरीय या डिप्लोब्लास्टिक अथवा त्रिस्तरीय या ट्रिप्लोब्लास्टिक होता है। जन्तुओं का शरीर जब दो जनन-स्तरों एक्टोडर्म तथा एंडोडर्म का बना होता है तब वे द्विस्तरीय जन्तु कहलाते हैं। परन्तु वैसे जन्तु जिनके शरीर के निर्माण में इन दो जनन-स्तरों के अतिरिक्त तीसरा जनन-स्तर मिसोडर्म भी सम्मिलित होता है, ट्रिप्लोब्लास्टिक कहलाते हैं।
(iv)जन्तु प्रायः चलायमान होते हैं।
(v) शरीर का आकार निम्नलिखित प्रकार का हो सकता है- (a) द्विपार्श्व सममित (b) अरीय सममित (c) असममित ।
(vi) वास्तविक देहगुहा या सीलोम मौजूद हो भी सकता है या नहीं भी। शरीर की दीवार और आहारनाल के बीच की जगह को देहगुहा कहते हैं। जब इस देहगुहा के चारों ओर भ्रूण के मेसोडर्म की एक परत होती है तब देहगुहा को सीलोम कहते हैं।
(vii) बाह्यकंकाल अथवा अंत: कंकाल का होना या नहीं होना।
(viii) उपांगों का पाया जाना या नहीं पाया जाना। उपांग संधित अथवा असधित हो सकते हैं।
(ix)नोटोकॉर्ड एवं आहारनाल का पाया जाना अथवा नहीं पाया जाना।
(x)उच्च कोटि के जन्तुओं में तंत्रिका तंत्र तथा पेशीतंत्र पाये जाते हैं।