क्रियाशील धातुओं द्वारा अम्लों से हाइड्रोजन का विस्थापन

Satyam yadav
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उत्तर 👉 सल्फ्यूरिक अम्ल (H₂SO₄) के तनु विलयन में जिंक का एक टुकड़ा डालने पर हाइड्रोजन (H₂) गैस निकलती है तथा विलयन में जिंक सल्फेट (ZnSO4) शेष रह जाता है।


Zn + H₂SO₄ → ZnSO4 + H₂ ↑


सल्फ्यूरिक अम्ल के अतिरिक्त Zn धातु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCI), फॉस्फोरिक अम्ल (H₃PO₄) और ऐसीटिक अम्ल (CH3COOH) से भी हाइड्रोजन को विस्थापित कर सकती है। इसे निम्नांकित कार्यकलाप द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है।


कार्यकलाप


तीन अलग-अलग परखनलियों में क्रमशः हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCI), फॉस्फोरिक अम्ल (H₃PO₄) और ऐसीटिक अम्ल (CH3COOH) लें। जिंक धातु के समान टुकड़े प्रत्येक परखनली में डालें, जैसाकि चित्र 1.8 में दिखाया गया है।


प्रत्येक परखनली में गैस के बुलबुले निकलते हुए नजर आएँगे। प्रत्येक परखनली के मुँह पर जलती हुई संठी लाने पर गैस 'पॉप' की आवाज के साथ जल उठती है। अतः, निकलनेवाली गैस हाइड्रोजन (H₂) है जो जिंक धातु द्वारा अम्लों से विस्थापित हुई है।

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