उत्तर⇒1. भोजन का पचना (Digestion of food) - हमारे भोजन (चावल, आलू, ब्रेड आदि) में मुख्यतः कार्बोहाइड्रेड रहता है। पाचन क्रिया के क्रम में यह स्टार्च (पॉलीसैकेराइड) अपघटित होकर ग्लूकोस बनाता है जो हमारे शरीर की कोशिकाओं (cells) में उपस्थित ऑक्सीजन (श्वसन से प्राप्त) द्वारा ऑक्सीकृत होकर कार्बन डाइऑक्साइड और ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है। श्वास छोड़ने के क्रम में कार्बन डाइऑक्साइड गैस हमारे शरीर से बाहर निकल जाती है और ऊर्जा से हमारे शरीर का ताप कायम रहता है एवं हमें शारीरिक कार्य करने के लिए बल प्राप्त होता है। CH12O6+606CO₂ + 6H2O + ऊर्जा ग्लूकोस
2. भोजन का दुर्गंधित होना (Rancidity of food)- हम जानते हैं कि ताजे भोजन के गंध एवं स्वाद प्रिय (pleasant) होते हैं। यही भोजन जब खुली वायु में लंबे समय तक छोड़ दिया जाता है तो उसमें से दुर्गंध आने लगती है। इसे बासी भोजन (stale food) कहते हैं। इसके गंध एवं स्वाद अप्रिय (unpleasant) हो जाते हैं।
भोजन के अप्रिय हो जाने का कारण यह है कि भोजन में उपस्थित वसा और तेल काफी समय के पश्चात वायु के ऑक्सीजन द्वारा ऑक्सीकृत हो जाते हैं, जिससे उनके गंध एवं स्वाद अप्रिय हो जाते हैं।
कुछ उपायों द्वारा भोजन को दूषित या अप्रिय होने से रोका जा सकता है; यथा-
(1) वसायुक्त भोजन में एक विशेष प्रकार का पदार्थ (सिट्रिक अम्ल, लेसिथिन), जिसे ऐटिऑक्सीडेंट (antioxidant) कहते हैं, मिला देने से भोजन का ऑक्सीकरण रुक जाता है।
(ii) घरों में भोजन को रेफ्रिजरेटर में रखकर भी उसके ऑक्सीकरण को कम किया जा सकता है।
(iii) भोजन को वायुरुद्ध बरतनों में रखकर भी ऑक्सीकरण को कम किया जा सकता है।
3. संक्षारण (Corrosion) - संक्षारण प्रकृति में होनेवाली एक ऑक्सीकरण - अवकरण अभिक्रिया है जिसका विस्तृत विवरण धातु एवं अधातु के अंतर्गत आगे दिया गया है।
4. दहन की क्रिया (Combustion) - हमारे दैनिक जीवन में दहन की कई क्रियाएँ दिखती हैं, जैसे-जलावन के रूप में लकड़ी, कोयला, किरोसिन, द्रवित पेट्रोलियम गैस (LPG) आदि का उपयोग। इन सभी पदार्थों के जलने में ऑक्सीकरण-अवकरण की अभिक्रियाएँ होती हैं।
