भारत के राष्ट्रपति के अधिकार एवं कार्यों का वर्णन करें।

Gyanendra Singh
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उत्तर:- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 53 में यह कहा गया है कि राष्ट्र की समस्त कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी। अपने इन अधिकारों का प्रयोग वह स्वयं अथवा अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा। उसके कार्य एवं अधिकार निम्न हैं –

विधायिका संबंधी अधिकार - राष्ट्रपति के विधायिका संबंधी अधिकार भी काफी व्यापक एवं महत्वपूर्ण है। वह संसद की बैठक बुलाने, उसे स्थगित करने तथा लोकसभा को भंग करने का अधिकार भी रखता है। उसके हस्ताक्षर के बाद ही कोई भी विधेयक कानून का रूप ले सकता है।कार्यपालिका संबंधी अधिकार - राष्ट्र की संपूर्ण कार्यपालिका शक्ति के प्रधान होने के नाते वह प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है, साथ ही उसकी सलाह से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति भी करता है। वह राज्यपालों, सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति तथा विभिन्न आयोगों के अध्यक्षों की नियुक्ति भी करता है।वित्त संबंधी अधिकार – राष्ट्रपति की स्वीकृति से ही संसद में बजट पेश किया जाता है। धन विधेयक को स्वीकृति प्रदान करता है, वित्त आयोग की नियुक्ति करना भी राष्ट्रपति के महत्वपूर्ण कार्य है।

न्यायपालिका संबंधी अधिकार - वह उच्च न्यायालयों एवं सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की बहाली करता है। वह किसी अपराधी की सजा को कम कर सकता है या साफ कर सकता है। वह किसी अपराधी की फांसी की सजा को भी माफ कर सकता है या चाहे तो उसे आजीवन कारावास की सजा में बदल सकता है।

कूटनीतिक एवं संकटकालीन अधिकार - वह राजदूतों एवं अन्य प्रतिनिधियों की नियुक्ति करता है। वह अंतर्राष्ट्रीय मामलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने के साथ साथ दूसरे देशों के साथ संधि या समझौते भी कर सकता है।

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