बिहार में वैश्वीकरण का प्रभाव-

Gyanendra Singh
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 उत्तर: भारत के 1991 में आर्थिक सुधार के लिए वैश्वीकरण की नीति अपनायी गयी थी । भारत सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था को खोलने का निर्णय लिया । इस नीति को अपनाने के बाद हमारे देश में अनेक बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का आगमन हुआ तथा विदेशी निवेश में वृद्धि हुई । वैश्वीकरण से बिहार की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुई तथा यहाँ के बाजारों में विदेशी कम्पनियों द्वारा निर्मित मोटरगाड़ियाँ, इलेक्ट्रोनिक उत्पाद, सिले-सिलाए कपड़े, मोबाइल तथा अन्य कई प्रकार की उपभोक्ता वस्तुएँ उपलब्ध हो गयी । वैश्वीकरण से राज्य के पर्यटन उद्योग को प्रोत्साहन मिला है तथा विदेशी पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है। वैश्वीकरण के फलस्वरूप बिहार में रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है । उच्च शिक्षा तथा प्रशिक्षण प्राप्त लोगों के लिए विदेशों तथा देश के अन्य भागों में नए अवसर उपलब्ध हुए हैं। वैश्वीकरण का ही प्रभाव है कि बिहार के बहुत सारे सॉफ्टवेयर इंजीनियर आज विदेशों में नौकरी कर रहे हैं। वैश्वीकरण के कारण बिहार में तकनीक तथा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विश्व की उन्नत देशों की संस्थाएँ अपना केन्द्र खोलने के लिए इच्छुक है। विगत वर्षों में बिहार के आधारभूत संरचना के विकास के कारण विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में बिहार आने लगे हैं और विश्व मुद्रा बाजार से बिहार में पूँजी निवेश की सम्भावना बढ़ती जा रही है ।

                         बिहार के आर्थिक जीवन पर वैश्वीकरण का नकारात्मक प्रभाव भी पड़ा है। ऐसा कहा जाता है कि बिहार में कृषि की अवहेलना की गयी है, क्योंकि राज्य में कृषि पर किया गया निवेश संतोषजनक नहीं है। यह भी कहा जाता है कि आर्थिक सुधारों के कारण छोटे उद्योगों के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है, क्योंकि उन्हें बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का सामना करना पड़ सकता है । अन्तत: कहा जा सकता है कि वैश्वीकरण से बिहार को लाभ ही हुआ है, क्योंकि सकारात्मक प्रभावों की तुलना में नकारात्मक प्रभाव नगण्य है ।

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