उत्तर- जाइलम ऊतक की रचना चार विभिन्न प्रकार के तत्वों से होती है-
(i) वाहिनिकायें इनकी कोशिका लंबी, जीवद्रव्यहीन, दोनों सिरों पर नुकीली तथा मृत होती है। कोशिकाभित्ति मोटी एवं स्थूलित होती है। वाहिनिकायें संवहनी पौधे की प्राथमिक तथा द्वितीयक जाइलम दोनों में ही पायी जाती है।
(ii) वाहिकायें इनकी कोशिकायें मृत एवं लंबी नली के समान होती हैं। कभी-कभी स्थूलित भित्तियाँ विभिन्न तरह से मोटी होकर वलयाकार, सर्पिलाकार, सीढ़ीनुमा, गर्ति, जालिकारूपी वाहिकायें बनाती हैं। ये वाहिकायें एजियोस्पर्म पौधों के प्राथमिक एवं द्वितीयक जाइलम में पायी जाती हैं।
(iii) जाइलम तन्तु ये लंबे, शंकुरूपी तथा स्थूलित भित्तिवाले मृत कोशिका हैं और प्रायः काष्ठीय द्विबीजपत्री पौधों में पाये जाते हैं।
(iv) जाइलम-मृदूतक इसकी कोशिकायें प्रायः पैरेनकाइमेट्स एवं जीवित होती हैं।
जाइलम ऊतक के कार्य-
(i) ये पौधों को यांत्रिक सहायता प्रदान करती है।
(ii) ये जड़ से जल एवं खनिज लवण को पत्ती तक पहुँचाती है।
(iii) यह भोजन संग्रह का कार्य करता है।