भौगोलिक खोजों की पृष्ठभूमि :
इस बीच यूरोप में कुछ ऐसी घटनाएँ घट रही थीं, जिसके प्रभावस्वरूप यूरोप मध्ययुगीन मानसिकता से निकलने को उद्धत हुआ। 11वीं-12वीं शताब्दी में जेरूशलम (आधुनिक इजरायल में अवस्थित) पर अधिकार के मुद्दे को लेकर हुए धर्मयुद्ध में जब यूरोपीय सामंत मध्यएशिया की नवीन शक्ति अरबों से पराजित हुए तो सामंती गौरव के मिथ्याभिमान से ग्रसित यूरोपीय दम टूटने लगा। परन्तु इसके कुछ सकारात्मक परिणाम भी सामने आये। धर्मयुद्ध के दौरान ही यूरोपियनों को यह महसूस होने लगा था कि दुनिया के हर पहलू को समझा जाए। इन घटनाओं ने यूरोप में पुनर्जागरण की पृष्ठभूमि भी तैयार की।
मध्ययुग में अरबों और तत्पश्चात् तुकों ने विशाल अंतर्राष्ट्रीय साम्राज्यों का निर्माण किया। इधर 15वीं शताब्दि के पाँच दशक पूर्व तक यूरोप और एशिया के मध्य व्यापार कुस्तनतुनिया के मार्ग से होता था। परन्तु 1453 ई० में कुस्तनतुनिया पर तुर्की आधिपत्य से यूरोपीय व्यापारियों के लिए इस मार्ग से व्यापार करना निरापद नहीं रहा। क्योंकि तुकों ने इस मार्ग से व्यापार के बदले भारी कर वसूलना शुरू कर दिया था। जिसका हल ढूँढ़ना यूरोपीयनों के लिए आवश्यक था।
इस काल में हुए नये-नये आविष्कारों ने समुद्री यात्रा एवं नौसेना के विकास को आसान कर दिया। यूरोपवासियों ने कम्पास का ज्ञान अरबों से सीखा। इटली, स्पेन एवं पुर्तगाल के समुद्रतटीय इलाकों में नाव निर्माण कला में परम्परागत पद्धति की जगह खाँचा पद्धति विकसित हुई, जिससे बड़े एवं मजबूत जहाज बनाए जाने लगे। दूरबिन का आविष्कार भी हो चुका था सामुद्रिक अभियानों में काफी सहायक था। अब मानचित्र में काफी सुधार हो चुका था। इस संदर्भ में एस्ट्रोलीब (अक्षांश आनने का उपकरण) भी महत्वपूर्ण था। पुर्तगालियों ने एक नई किस्म के हल्के और तेज चाल से चलने वाले जहाज कैरावल बनाये।
इन नये उपकरणों एवं साहस के बल पर यूरोपीय नाविकों ने अरटिक एवं भूमध्य सागर में अपने जहाज उत्तारे। इसी क्रम में 1488 ई० में पुर्तगाली व्यापारी बार्थोलोमियो डियाज अफ्रिका के पश्चिमी तट होते हुए दक्षिण अफ्रिका के दक्षिणतम बिन्दु उत्तमआशा अंतरीप (Cape of good hope) तक पहुँच गया। 1492 ई० में क्रिस्टोफर कोलम्बस द्वारा अमेरिका की खोज की गई।