मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की आवश्यकता क्यों होती हैं ? व्याख्या करते हुए समझाएं।

Gyanendra Singh
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Manushy mei dohra parsancharan ki aavshykta kyon hoti hai 

मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की आवश्यकता क्यों होती हैं ? व्याख्या करते हुए समझाएँ।

उत्तर:– रक्त ह्रदय में दो बार परिसंचरण के दौरान गुजरता है इसलिए इसे दोहरा परिसंचरण कहते हैं। हृदय के बाएं आलिंद का संबंध फुफ्फुस शिरा होता है जो फेफड़ा में ऑक्सीजन युक्त रक्त को लाती है। बाये आलिंद का संबंध एक दिक्पात द्वारा बाये निलय से होता है। अतः बाये आलिंद का संबंध एक दिक्पात बाये निलय से होता हैं। अतः बाये आलिंद का ऑक्सीजन युक्त रक्त कपाट खोलकर बाये निलय में भरा जाता हैं। बाये निलय का संबंध एक महाधमनी से होता है। अतः बाये निलय का ऑक्सीजन युक्त रक्त इस महाधमनी से होकर पूरे शरीर में चला जाता है। फिर शरीर विभिन्न भागों से ऑक्सीजन विहीन अशुद्ध रक्त महाशिरा द्वारा दाएं आलिंद में आता है। दाये आलिंद में आता है। दाएं आलिंद और दाएं निलय में आ जाता हैं। दाएं निलय का संबंध फुफ्फुस धमनी से होता है जो फेफड़ा तक जाती हैं। वहां उसकी कार्बन डाइऑक्साइड फेफड़ा में चली जाती हैं और ऑक्सीजन रक्त में आ जाता हैं।

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