फुफ्फुस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रान) की रचना तथा कार्यविधि को तुलना कीजिए।
कुपिका
1. पतली भित्ति, गुब्बारे के समान संरचना। सतह महीन तथा नाजुक।
2. गैसों के आदान-प्रदान के लिए रुधिर कोशिकाओं का लम्बा चौड़ा जाल।
3. कूपिकाएँ सतही क्षेत्र बढ़ा देती हैं, जिससे CO, का रुधिर से वायु में तथा O₂ का वायु से रुधिर में विसरण हो सके।
4. कूपिकाएँ केवल फेफड़ों में गैसों के आदान-प्रदान के लिए सतही क्षेत्र बढ़ाती हैं।
5. कूपिकाएँ बहुत छोटी होती हैं और प्रत्येक फेफड़े में एक बहुत बड़ी संख्या में पाई जाती हैं।
वृक्काणु
1. पतली भित्ति, कप की आकृति की संरचना, जो पतली भित्ति वाले ट्युब्यूल से जुड़ी है।
2. बोमेन संपुट में रुधिर कोशिकाओं का गुच्छा होता है, जिसे कोशिका गुच्छ कहते हैं। इसका काम छानना है। वृक्काणु के ट्युब्यूलर हिस्सों के ऊपर रुधिर वाहिकाओं का एक जाल होता है, जो लाभप्रद पदार्थों तथा जल का पुनः अवशोषण करता है।
3. वृक्काणु भी सतही क्षेत्र बढ़ाता है, रुधिर को छानने के लिए तथा निस्यंद से लाभप्रद पदार्थ तथा जल के पुनः अवशोषण के लिए। अन्त में मूत्र बचेगा।
4.वृक्काणु के नलिकाकार हिस्से मूत्र को संग्राहक वाहिनी तक ले जाती है।
5. वृक्काणु, जो छानने की आधार इकाई है, एक बड़ी संख्या में प्रत्येक गुर्दे में होते हैं।