उत्तर⇒ रासायनिक समीकरणों की सीमाओं को दूर करने के लिए समीकरण को अधिक उपयोगी बनाने का प्रयास किया जाता है।
1. अभिकारकों एवं प्रतिफलों की भौतिक अवस्था की जानकारी- अभिकारकों और प्रतिफलों की भौतिक अवस्था की जानकारी उनके संकेतों/सूत्रों के ठीक आगे कोष्ठक में ठोस के लिए 's', द्रव के लिए '1' एवं गैस के लिए 'g' लिखकर किया जाता है। इसी प्रकार, पदार्थ के जलीय विलयन के लिए 'aq' अंकित किया जाता है। यथा ,CaCO3(s) → CaO(s) + CO2(g) Zn(s) + H₂SO₄(aq) → ZnSO₄(aq) + H₂(g)
2. ऊष्माक्षेपी एवं ऊष्माशोषी अभिक्रियाओं की जानकारी-रासायनिक अभिक्रिया के फलस्वरूप उत्सर्जित या अवशोषित ऊष्मा की जानकारी ऊष्मा-रासायनिक समीकरण के द्वारा दी जाती है। ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया के लिए समीकरण के दायीं ओर + ऊष्मा तथा ऊष्माशोषी अभिक्रिया के लिए समीकरण के बायीं ओर + ऊष्मा लिख दिया जाता है। यथा,
C+O2→ CO₂ + ऊष्मा
(ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया)
N₂ + O2 + ऊष्मा → 2NO
(ऊष्माशोषी अभिक्रिया
3. गैस के उत्सर्जन की जानकारी - यदि अभिक्रिया के फलस्वरूप कोई गैस निकलती है तो समीकरण में गैस के सूत्र के ठीक बाद चिह्न दिया जाता है; यथा,
Zn + H₂SO₄ → ZnSO4 + H₂ ↑
4. अवक्षेप बनने की जानकारी- यदि अभिक्रिया के फलस्वरूप कोई प्रतिफल अवक्षेप के रूप में पृथक होता है तो उस प्रतिफल के संकेत/सूत्र के बाद ↓ दिया जाता है; यथा,
AgNO3 + HCl → AgCl + HNO,
5. अभिक्रिया की शर्तों की जानकारी- इसकी जानकारी के लिए समीकरण में प्रयुक्त तीर-चिह्न (→) के ऊपर या नीचे दाब, ताप, सांद्रण, उत्प्रेरक आदि शर्तों का निर्देशन किया जाता है।
6. अभिक्रिया की उत्क्रमणीयता की जानकारी - रासायनिक - अभिक्रिया की उत्क्रमणीयता (reversibility) दशनि के लिए अभिकारक और प्रतिफल के बीच विपरीत दिशाओं में निर्देशित दो तीर-चिह्न दिए जाते हैं।
