रेबिज के रोकथाम:—

Gyanendra Singh
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 उत्तर:(i) रेबिज के वाइरस से मस्तिष्क के प्रभावित हो जाने पर उसका किसी भी प्रकार का उपचार अभी तक संभव नहीं है।

(ii) रेबिज के वाइरस से संक्रमित कुत्ते को आम भाषा में हम पागल कुत्ता कह देते हैं। ऐसे संभावित पागल कुत्ते के काट लेने पर उस कुत्ते पर नजर रखनी चाहिए। अगर वह कुत्ता मनुष्य को काटने के 3-5 दिनों के अंदर मर जाता है तब प्रायः यह निश्चित मान लिया जाता है कि उक्त कुत्ता रेबिज के वाइरस से संक्रमित था। ऐसा करना इसलिए आवश्यक है कि काटे गए मनुष्य में इस रोग के लक्षण कुत्ते के काटने के तुरंत बाद नहीं, बल्कि दस दिनों के अंदर या कभी-कभी संक्रमण के एक वर्ष बाद भी दिखाई दे सकते हैं। क्योंकि इस वाइरस का उद्भव-अवधि 10 दिन से 1 वर्ष तक होता है।

(iii) काटे गए स्थान को अच्छी तरह साबुन, पानी से धोकर साफ कर देना चाहिए।

(iv) इसके बाद रोगी को ऐंटिरेबिज सीरम (antirabies serum) की सूई लगवानी चाहिए। इसके लिए दो तरह की दवाएँ उपलब्ध हैं। पहली दवाई पाश्चर टीका (Pasteur vaccine) है। इसकी 14 सूइयाँ पेट में लगवानी पड़ती हैं। दूसरी ह्यूमन डिप्लॉयड सेल टीका (human diploid cell vaccine) है, जिसकी 5 सूइयाँ जंघा या बाँह में लगवानी पड़ती हैं।

(v) चिकित्सक के सलाह से ऐंटिरेबिज टीका की पूरी खुराक लगवाना अनिवार्य है।

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