मनुष्य के रक्त की संरचना का वर्णन करें।
उत्तर रक्त एक तरल ऊतक है। इसे परिवहनयोजी ऊतक भी कहा जाता है। इसमें 55-60% हिस्सा जलीय घोल के रूप में पाया जाता है। इसे प्लाज्मा कहते हैं। शेष भाग में रक्त कोशिकाएँ पायी जाती हैं, रक्त गाढ़ा क्षारीय तरल पदार्थ हैं। इनकी संरचना इस प्रकार है-
(i) प्लाज्मा यह हल्के पीले रंग का चिपचिपा द्रव है। यह रक्त में लगभग 55 से 60 प्रतिशत होता है। इसमें 90% जल, 7% प्रोटीन, 0.9% अकार्बनिक लवण, 0.18% ग्लूकोज, 0.5% वसा तथा शेष कार्बनिक पदार्थ होते हैं।
(ii) रक्त कोशिकाएँ:– आयतन के हिसाब से यह कुल रक्त के करीब 40-48 प्रतिशत भाग है। स्त्रियों में इसकी संख्या कम तथा पुरुषों में अधिक होती है। ये तीन प्रकार की होती है-
(i) लाल रक्त कण,
(ii) श्वेत रक्त कण,
(iii) प्लेटलेट्स या रक्त पट्टिकाणु।
(i) लाल रक्त कण:– इसमें एक विशेष प्रकार का प्रोटीन वर्णक लौहयुक्त हीमोग्लोबिन पाया जाता है। हीमोग्लोबिन के कारण रक्त का रंग लाल दिखाई देता है। यह ऑक्सीजन का वाहक. होता है। एक किलोग्राम हीमोग्लोबिन 1.3 मिली लीटर ऑक्सीजन हो सकता है। मनुष्य प्रतिदिन लगभग 30 लाख लाल रक्त कणों का निर्माण करता है और इतना ही नष्ट भी होते रहता है। लाल रक्त कोशिकाएँ शरीर में श्वसन के द्वारा लिए गए ऑक्सीजन से संयोग कर ऑक्सी हीमोग्लोबिन बनाता हैं। इससे इसका रंग गुलाबी या लाल होता है।
(ii) श्वेत रक्त कण-ये अनियंत्रित आकार की न्यूक्लियस युक्त कोशिकाएँ हैं। ये रंगहीन कोशिकाएँ हैं। इनके कुछ कोशिकाओं के जीवद्रव्य में दानेदार कण पाये जाते हैं। जिनकी प्रकृति अम्लीय, क्षारीय या उभयनिष्ठ हो सकता है। इनकी संख्या लाल रक्त कणिका से कम होती है श्वेत रक्त कणिकाएँ हमारे शरीर की सुरक्षा प्रहरी का कार्य करती हैं। ये अलग-अलग रोगाणुओं से लड़ने के लिए अलग-अलग प्रकार के एंटीबॉडी बनाकर रासायनिक युद्ध करते हैं तथा हमारे शरीर को रोगाणु से रक्षा करते हैं।
(iii) रक्त एट्टिकाणु यह अनियंत्रित आकार का तारानुमा कोशिकाएँ हैं। इनकी संख्या प्रति घन मिलीमीटर 1.5 से 3 लाख तक होती

