रक्त या रुधिर की संरचना का वर्णन करें।

Gyanendra Singh
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उत्तर: रक्त या रुधिर एक संवाहन अथवा संयोजी ऊतक है। इनका अन्तरकोशिकीय पदार्थ तरल होता है, जिसमें कोशिकायें बिखरी रहती हैं। इसलिए इन्हें तरल ऊतक कहते हैं। रक्त या रुधिर के तरल भाग को प्लाज्मा कहते हैं। इसमें रुधिर कणिकायें तैरती रहती हैं।

प्लाज्मा- यह हल्के पीले रंग का चिपचिपा और थोड़ा क्षारीय द्रव्य है, जो आयतन के हिसाब, से सारे रुधिर का 55% भाग है। शेष 45% में रुधिर कणिकायें होते हैं। प्लाज्मा में 90% भाग जल है, एवं शेष 20% में प्रोटीन तथा कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थ होते हैं।


रुधिर कणिकायें- ये तीन प्रकार की होती हैं जो इस प्रकार हैं-

(i) लाल रुधिर कणिकायें (Red blood cells or RBC or Erythrocytes) 

(ii) श्वेत रुधिर कणिकायें (White blood cells or WBC or leucocytes) 

(iii) प्लेटलेट्स (Platelets)

(i) लाल रुधिर कणिकायें- मेढ़क में बड़ी तथा अण्डाकार होती हैं एवं प्रत्येक में एक केंद्रक होता है। स्तनी (मनुष्य, खरगोश आदि) में लाल रुधिरकण बाइकॉनकेव या उभयावतल होता है, पर सतह गोलाकार होती है एवं इसमें केंद्रक नहीं होता है। ये लाल अस्थिमज्जा में बनती हैं।

          लाल रुधिरकण में एक प्रोटीन रंजक हीमोग्लोबिन होता है, जिसके कारण इन कणों का रंग लाल होता है। हीमोग्लोबिन एक प्रोटीन ग्लोबिन (96%) एवं एक रंजक हीम (4-5%) से बना होता है। हीम अणु के केंद्र में लोहा (Fe) होता है, जिसमें ऑक्सीजन को बाँधने और मुक्त करने की क्षमता होती है।

(ii) श्वेत रुधिर कणिकायें- ये अनियमित आकृति की केंद्रकयुक्त और हीमोग्लोबिन रहित होती है। इनकी संख्या लाल रुधिरकणों की अपेक्षा बहुत कम होती है। कुछ सूक्ष्मकणों की उपस्थिति के आधार पर इन्हें दो प्रकार का माना जाता है, जिन श्वेत रुधिरकणिकाओं में कण मौजूद हैं, उन्हें ग्रेनुलोसाइट कहते हैं, जैसे न्यूट्रोफिल, इओसिनोफिल और बेसोफिल। इनका केंद्रक पालिवत होता है।

               कुछ श्वेत रुधिर कणिकाओं के कोशिकाद्रव्य में कण नहीं पाये जाते हैं इन्हें एग्रेनुलोसाइट कहते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं-लिम्फोसाइड एवं मोनोसाइट। लिम्फोसाइट एंटीबॉडी के निर्माण में भाग लेती है। अन्य श्वेत रुधिर्कणिकायें जीवाणुओं को नष्ट करने का प्रधान कार्य करती है।

 (iii) रुधिर प्लेटलेट्स या थ्रोम्बोसाइट्स मेढ़क के रुधिर में छोटी-छोटी तर्क आकार की केंद्रकयुक्त कोशिकायें पायी जाती हैं, इन्हें थ्रोम्बोसाइट कहते हैं। स्तनियों में ये सूक्ष्म, रंगहीन, केंद्रकहीन कुछ गोलाकार, टिकिये के समान होते हैं, इन्हें प्लेटलेट्स कहते हैं। रक्त के थका बनने (Blood Clotting) में मदद करना इनका प्रधान कार्य है।

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