उत्तर- संघ कॉर्डेटा की तीन प्रमुख लक्षण या विशेषतायें ये हैं-
(i) जन्तु हैं। ये जल और स्थल में पाये जानेवाले ट्रिप्लोब्लास्टिक, सीलोमेटा (त्रिस्तरीय, सीलोमेट) जंतु हैं।
(ii) इनमें नोटोकॉर्ड या पृष्ठरज्जु उपस्थित होता है। अधिकांश कॉडेंटों में यह उपास्थि या अस्थि के बने एक अंन्त:कंकाल कशेरूक दंड या रीढ़ की हड्डी में परिवर्तित हो जाता है।
(iii) ग्रसनी क्लोम या ग्रसनी गिल छिद्र उपस्थित होते हैं, ये जिन कॉर्डेटा के प्रौढ़ अवस्था में नहीं होते हैं, उनकी भ्रूणीय अवस्था में अवश्य मिलते हैं।
(iv) पृष्ठीय नलाकार या खोखला तंत्रिका रज्जु उपस्थित होता है।
(v) रुधिर परिसंचरण तंत्र बंद होता है अर्थात् रक्त का प्रवाह बंद रक्त नलिकाओं में होता है। हृदय औदरिक सतह पर स्थित होता है।
(vi) पुच्छ गुदा के पीछे स्थित होता है।