रोम-बर्लिन टोकियो धूरी क्या है?
उत्तर : हिटलर की कार्यवाहियों ने यूरोप के अनेक देशों को जर्मनी का दुश्मन बना लिया। यूरोप के राज्य उसकी उग्र नीति से इतना डर गये कि वे परस्पर मिलकर जर्मनी के विरुद्ध गुटबन्दी करने लगे। अन्तरराष्ट्रीय जगत में जर्मनी अकेला पड़ा हुआ था। इस स्थिति का अन्त कर जर्मनी के मित्र प्राप्त करना हिटलर की विदेश नीति का दूसरा कदम था। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हिटलर मित्रों की तलाश करने लगा। इटली और जर्मनी दोनों एक ही सिद्धांत में विश्वास करते थे और राज्य-व्यवस्था की दृष्टि से ये दोनों राष्ट्र एक सदृश थे। जर्मन-इटालियन गठबन्धन के लिए अबीसीनिया संकट बड़ा ही अच्छा अवसर सिद्ध हुआ। 25 अक्टूबर, 1936 को जर्मनी और इटली के बीच समझौता हो गया। संसार में जर्मनी का एक और मित्र हो सकता था और वह था जापान। नवम्बर, 1936 में साम्यवाद के विरुद्ध दोनों देशों (जर्मनी और जापान) ने एक समझौता कर लिया। 1937 में इटली भी इस संधि में शामिल हो गया। रोम-बर्लिन धुरी अब रोम-बर्लिन-टोकियो धुरी में परिणत हो गई।